मेरा नज़रिया
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हमारे भारतीय मातापिता को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को कमाऊ बनाएं ताकि उन्हें पालनेवाला (पति) ना ढूंढना पड़े. बेटियां अपनी कमाई से ही अपना पालनपोषण कर सकती हैं. भविष्य में कोई पसंद आ जाए तो शादी भी कर सकती हैं, अन्यथा अकेले रहने में क्या दिक्कत है? शादी करना अनिवार्य क्यों? वैसे भी शादी करना या ना करना किसी भी लड़का या लड़की का निजी मामला है. इसमें मातापिता को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. मातापिता के हस्तक्षेप की वजह से ही दहेज़ की कुप्रथा अभी तक जारी है. मातापिता शादियां तय ही इसलिए करते हैं ताकि वे दहेज़ की बात छेड़ सकें. उनके हस्तक्षेप की कोई दूसरी वजह नजर नहीं आती. अतः जब तक ‘अरेंज्ड मैरिज’ का चलन रहेगा तब तक ‘दहेज़ कुप्रथा’ भी जारी रहेगी; इसमें कोई संदेह नहीं!
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